मध्य प्रदेश में वन अपराधियों से निपटने के लिए अब रिटायर्ड वनकर्मियों से सुझाव लेकर एक्शन प्लान तैयार किया जा सकता है। एक साल पहले लटेरीगोलीकांड की जांच कर रहे आयोग ने वन अपराधियों को लेकर वनकर्मियों को जो भी दिक्कतें आती हैं, उनको लेकर रिटायर्ड वनकर्मियों से जानकारी और उनसे निपटने के लिए सुझाव लेने को कहा है। पढ़िये इस संबंध में रिपोर्ट।
विदिशा जिले में लटेरी के गोली कांड में पिछले साल नौ अगस्त को लकड़ी चोरों की आशंका में वनकर्मियों ने गोली चला दी थी जिसमें एक ग्रामीण की मौत हो गई थी और तीन लोग घायल हो गए थे। इस घटना की न्यायाधीश वीपीएस चौहान का जांच आयोग बनाया गया था जिसने अभी तक कई वनकर्मियों और अन्य पक्षों के लोगों के बयान लिए हैं। इसमें आयोग के सामने वन अपराधियों से निपटने में वनकर्मियों के सक्षम होने के तथ्य भी सामने आए तो जांच आयोग ने वन विभाग को निर्देश कि सभी मुख्य वन संरक्षकों को पत्र लिखा जाएगा। अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उससे आयोग ने उप मंडलाधिकारी, वन परिक्षत्राधिकारी, उप वन परिक्षेत्राधिकारी, वन क्षेत्रपाल और वनरक्षकों को वनों की रक्षा करने में सक्षम नहीं होना पाया है।
वन अपराध में वनकर्मियों को वन अपराधियों की तुलना में पुलिस सहयोग कम
जांच आयोग ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख को पत्र लिखा है। आयोग ने पत्र में कहा है कि भारतीय दंड विधान का अपराध घटने पर वनकर्मियों को लगता है कि उन्हें पुलिस से उतना सहयोग नहीं मिलता जितना वन अपराधियों को मिलता है। आयोग का कहना है कि ऐसे में वन अपराधियों से निपटने में तटस्थ व सही सुझाव रिटायर्ड वनकर्मी दे सकते हैं और इन रिटायर्ड वनकर्मियों की पूरी जानकारी होती है कि उनके क्षेत्र में कौन-कौन रहता है। आयोग ने वन बल प्रमुख को कहा है कि ऐसे रिटायर्ड कर्मचारियों से सुझाव लेने के लिए मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ को पत्र लिखकर जांच आयोग के सामने पेश किए जाएंगे।
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