मध्य प्रदेश में वन विभाग की रेस्क्यू टीमों के पास संसाधनों की कितनी कमी है, यह बालाघाट में गांव में उत्पात मचाने वाले रीछ को पकड़ने में सामने आ गईं। रीछ उत्पात मचाते हुए गांव के मकानों की छतों पर तोड़फोड़ करता रहा लेकिन 12 घंटे तक वनकर्मी उसे पिंजरे में कैद नहीं कर पाए। उन्हें खराब पिंजरे का डर था कि पिंजरे में बंद होने के बाद रीछ उसे भी तोड़कर उन पर हमला नहीं कर दे। क्या है मामला पढ़िये।
वन विभाग के पास रेस्क्यू ऑपरेशन के संसाधनों की कैसी हालत है, यह बालाघाट के उमरवाड़ा-खड़गपुर गांव में एक भालू के रेस्क्यू के लिए पहुंचे अमले को देखकर ग्रामीणों को लग गई है। वन विभाग दो दिन से रेस्क्यू में लगा है पर पकड़ नहीं पाया। कई घंटे चले रेस्क्यू के बाद भी वन अमला भालू नहीं पकड़ पाया। बताया गया कि पिंजरा खराब था और कर्मी डर रहे थे। हाथों में डंडे लेकर वनकर्मी रीछ को डराते रहे और लोगों की भीड़ से दूर रखने का प्रयास करते रहे।
पानी की तलाश में रीछ गांव में पहुंचा, तोड़फोड़ की
पानी की तलाश में रीछ गांव में पहुंचा और उसने पानी की तलाश के दौरान गांव के मकानों की छत पर पहुंचकर तोड़फोड़ शुरू कर दी। ग्रामीणों ने भालू को देखकर शोर मचाया तो उसने भी यहां वहां दौड़ लगाई तो उसके दायरे में आने वाला सामान टूटता-फूटता चला गया। वन विभाग का अमला वहां पहुंचा लेकिन उसके पास जो पिंजरा था वह खराब था। रेस्क्यू के बाद रीछ को उसमें ले जाना जोखिम भरा था तो वनकर्मी भी उसे पकड़ने में डरते रहे।
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