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राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण का आह्वान किया
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज हैदराबाद में महिला दक्षता समिति द्वारा स्थापित बंसीलाल मालिनी कॉलिज का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में, राष्ट्रपति ने देश के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में कमियों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र दीर्घकालीन समाधान निजी संस्थाओं के साथ-साथ सरकार और निजी हितधारकों से युक्त सहकारी अवसंरचनाओं का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, स्वास्थ्य, शिक्षा आजीविका आदि के विकासात्मक लक्ष्यों को एकमात्र सरकार के द्वारा ही प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस तरह की सहकारी संस्थाएं सभी के लिए प्रासंगिक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में लगभग 24 लाख नर्सो की महत्वपूर्ण रूप से कमी है और इनकी संख्या में 2009 के 1.65 मिलियन से 2015 में 1.56 तक कमी आई है। यह एक चिंता का विषय है। इसी प्रकार से, 5000 कस्बों और 6.4 लाख ग्रामों में रह रहे 130 करोड़ लोगों के देश के बुनियादी ढांचे में मात्र 1.53 लाख उप केन्द्र, 85000 पीएचसी और 5000 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि इसमें मात्र सरकार ही नहीं अपितु सभी हितधारक भागीदार बनें।
राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण में महिला दक्षता समिति के द्वारा निभाई गई अहम भूमिका की सराहना की और समिति के संस्थापक सदस्यों जैसे श्रीमती सुमन कृष्णकांत, प्रोफेसर प्रमिला दंडवते और गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा के योगदानों का भी स्मरण किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को वास्तविक सशक्तिकरण तभी संभव होगा जब वे अपनी पूरी क्षमता के साथ शिक्षा, आर्थिक आत्म-निर्भरता और अवसरों के प्रावधानों का उपयोग करने में पूरी तरह से समर्थ हों। राष्ट्रपति ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भारत की औसत साक्षरता 74 प्रतिशत है ऐसे में महिलाओं की साक्षरता 65 प्रतिशत से कम है। उन्होंने कहा कि एक ऐसा समाज जो अपनी महिलाओं को सशक्त नहीं करता उसका अंत एक हारे हुए समाज के रूप में होता है। उन्होंने इस दिशा में नये सिरे से गंभीर प्रयास करने का भी आह्वान किया।
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