भारत के टाइगर प्रोजेक्ट को 50 साल पूरे हो गए हैं और 2022 के आंकड़ों में आज देश में टाइगरों की तीन हजार 167 पहुंच गई है। मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखे हुए और यहां आज भी देशभर की बाघ की आबादी की 16.6 फीसदी जंगल का महाराजा पाया जाता है। विश्व में जितने टाइगर हैं, उनके करीब दस फीसदी मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क-अभ्यारण्य में उन्हें अच्छा वातावरण मिलने से उनकी आबादी दिन ब दिन बढ़ रही है।
टाइगर प्रोजेक्ट को आज 50 साल हो चुके हैं। टाइगर के संरक्षण को लेकर देशभर में काफी काम हुआ लेकिन मध्य प्रदेश उनमें सबसे आग रहा है। यही वजह है कि मध्य प्रदेश में आज टाइगर के रहवास के लिए सबसे सुरक्षित माना जाने लगा और यहां बाघ को अपने रहने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने में वन विभाग कामयाब रहा है। मध्य प्रदेश में छह टाइगर रिजर्व हैं जिनमें सतपुड़ा टाइगर रिजर्व सबसे बेहतर माना जाता है। इसके अलावा कान्हा, पेंच, पन्ना, बांधवगढ़, संजय गांधी टाइगर रिजर्व भी हैं। देशभर में 50 टाइगर रिजर्व हैं और हाल ही मेें केरल में टाइगर रिजर्व मेघमलाई घोषित किया गया है जो तमिलनाडु की सीमा पर है।
16 साल में दो गुना से ज्यादा हुए टाइगर
टाइगर की आबादी की गणना की शुरुआत 2006 में की गई थी और हर चार साल में यह गणना की जाने लगी है। 2006 में देश में 1411 टाइगर पाए गए थे जो 2010 की गणना में 1706 हो गए और 2014 में 2226 टाइगर की संख्या पहुंच गई। 2018 में 2967 और पिछले साल 2022 में देश में टाइगर की संख्या 3167 हो गई है। ये देशभर में 88 हजार 985 वर्ग किलोमीटर में अपना साम्राज्य फैलाए हैं।
एमपी में 526 टाइगर का बसेरा
मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल किए हुए है और यहां 526 टाइगरों का बसेरा है। इसके बाद कर्नाटक का नाम आता है जहां 524 टाइगर हैं। तीसरे नंबर उत्तराखंड राज्य है जहां 442 बाघ जंगल में राज करते हैं तो महाराष्ट्र में भी 312 टाइगर हैं और पांचवें नंबर पर तमिलनाडु आता है जहां इनकी आबादी 264 है।
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