मध्य प्रदेश कैडर के आईएफएस अफसरों में चौहान इकलौते ऐसे आईएफएस हैं, जिन्हें वन्य प्राणी का सबसे तजुर्बेकार अफसर माना जाता है। चौहान को पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ से हटाए जाने को लेकर कई सीनियर आईएफएस अफसरों का कहना है कि यदि कूनो नेशनल पार्क में हो रही चीता की मौत के कारण चौहान को हटाया गया है तो फिर सेंट्रल स्टीयरिंग कमेटी के चेयरमैन राजेश गोपाल, एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव, फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा और डीएफओ प्रकाश वर्मा को भी हटाया जाना चाहिए था। पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कैलासिया की रिपोर्ट।
चीता प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सीधे तौर पर सेंट्रल स्टीयरिंग कमेटी के चेयरमैन राजेश गोपाल, एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव, फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा और डीएफओ प्रकाश वर्मा पर है। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन चौहान तो केवल पोस्टमैन की भूमिका थे। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीकन चीता सूरज की मौत कॉलर रगड़ने और जख्म पर कीड़े पड़ने से हुई। इसकी पुष्टि भी जेएस चौहान ने नहीं की। कई नेशनल और इंटरनेशनल अखबारों में सेंट्रल स्टेरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल के हवाले से सूरज की मौत कॉलर आईडी के कारण होने खबर प्रकाशित की गई है। जबकि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने चीता सूरज की मौत स्वाभाविक माना है।
एनटीसीए के सदस्य सचिव से नहीं बैठ रही थी पटरी
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पद से चौहान को हटाए जाने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव से उनकी पटरी नहीं बैठ रही थी। चीता को लेकर पीसीसीएफ वन्य प्राणी चौहान ने आधा दर्जन से अधिक चिट्ठियां एनटीसीए के सदस्य सचिव एसपी यादव को लिखी है। चौहान के लिखे गए पत्रों में से एक का भी जवाब एनटीसीए द्वारा नहीं दिया गया। दो दिन पहले ही चौहान ने चीता के मसले को लेकर टेक्निकल पत्र लिखे थे। सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक रसूख के चलते यादव को एनटीसीए का सदस्य सचिव बना दिया गया है, जबकि वे इस पद के लिए निर्धारित योग्यता नहीं रखते है। उनकी पदस्थापना को लेकर जेएस चौहान ने कैट में चुनौती दे रखी है। इसी मसले को लेकर दोनों में लंबे समय से विवाद चल रहा है।
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