90 के दशक वाले बैच के एक रसूखदार आईएएस अधिकारी के भोपाल के पॉश इलाके में निर्माणाधीन शॉपिंग काम्पलेक्स की चर्चा प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। सूत्रों ने बताया कि शॉपिंग काम्पलेक्स की सुंदरता बनाए रखने के लिए राजधानी परियोजना वन मंडल इकाई ने भी उदारता बरती है. इसके लिए वन इकाई ने अपनी जमीन के सीमेंट के पोल को हटाकर फेंसिंग करा दी है।
बताया जाता है कि काम्पलेक्स से लगी हुई राजधानी परियोजना वन मंडल की अधिपत्य वाली सरकारी भूमि की करीब 4000 वर्ग फीट जमीन पर कब्जा हो गया है। मंत्रालय में पदस्थ नौकरशाह का शॉपिंग काम्पलेक्स गुलमोहर टेकरी बावड़िया कला में बन रहा है। अभी तक गुपचुप तरीके से काम्पलेक्स बन रहा था किंतु पिछले कुछ महीनों से प्रमुख सचिव के शुभचिंतक सक्रिय हो गए हैं। वे काम्पलेक्स से जुड़ी खामियों और सरकारी मशीनरी की अनदेखी को लेकर शिकायतें करने लगे हैं। सरकारी मशीनरी ने साहब के काम्पलेक्स के निर्माण की देखरेख के पहुंचने की वजह से वहां घूमने के लिए पाथ वे भी बना दिया है और पीएस सुबह शाम वॉक करने वहां पहुंच जातेहैं।
मंत्री से नहीं बैठ पा रही है पटरी
शिवराज सरकार के कैबिनेट मंत्री और प्रमुख सचिव के बीच पटरी भी नहीं बैठ रही है। खासकर जब अधिकारियों की पदस्थापनाओं को लेकर उनके बीच मतभेद की चर्चा मंत्रालय से लेकर मैदानी अमले के बीच हो रही है। दिलचस्प पहलू यह है कि पहली बार विभाग अध्यक्ष भी प्रमुख सचिव के इशारे पर काम कर रहे हैं। यानी प्रमुख सचिव का विभाग में हस्तक्षेप पूर्व में स्थापित परंपरा से अधिक होने लगा है। यह बात मंत्री स्वयं भी कहते नजर आते है, क्योंकि पहले भी वे कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। पूर्व में विभागीय मंत्री और विभागाध्यक्ष के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिला है। प्रमुख सचिव द्वारा विभागीय मंत्री के एक्शन प्लान में खामियां बताकर उनके क्रियान्वयन पर रोक लगाए जाने से मंत्री बेहद दुखी है. अब वे प्रमुख सचिव के स्थानांतरण का इंतजार कर रहे हैं।
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