मध्य प्रदेश की राजधानी के दो सरकारी कॉलेजों के प्रभारी प्राचार्य मुकेश दीक्षित की मुश्किलें बढ़ रही हैं और पिछले दिनों उनके खिलाफ बिना सरकारी आदेश के महारानी रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज के प्राचार्य का प्रभार लेने के बाद जो माहौल बना था वह अब हायर लेबल तक पहुंच गया है। दीक्षित के खिलाफ दस साल पुराने मामले से लेकर ताजे घटनाक्रम को लेकर शासन ने उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर जांच शुरू कर दी है।
शासकीय नवीन कॉलेज भोपाल के प्रभारी प्राचार्य के रहते हुए कुछ महीने पहले मुकेश दीक्षित ने एमएलबी कॉलेज के प्राचार्य के रिटायरमेंट के बाद रिक्त पद पर बिना सरकारी आदेश के काम शुरू कर दिया था। इसके पहले भी दीक्षित एमएलबी कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य रह चुके थे और उनका तबादला हो गया था और तब भी वे वहां से कार्यमुक्त नहीं हो रहे थे। इस बार उन्होंने बिना सरकारी आदेश के जब प्रभारी प्राचार्य का पद संभाल लिया तो उनके खिलाफ शिकवा-शिकायतें शुरू हो गईं।
पांच सदस्यीय कमेटी बनाई
उच्च शिक्षा विभाग ने इस बार मुकेश दीक्षित के खिलाफ दस साल पुराने महिला प्राध्यापक के साथ अभद्र व्यवहार-अश्लील टीका टिप्पणी करने की शिकायत से लेकर संगोष्ठी के नाम पर प्रतिभागियों से राशि लेने और संगोष्ठी नहीं होने, कॉलेज का कबाड़ बिना टेंडर या सरकारी प्रक्रिया का पालन किए बेचने, ड्राइवर को वेतन देने के लिए उसे पुस्तकालय का कर्मचारी बताने जैसे आरोपों की जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इसमें दो प्रभारी प्राचार्य और तीन वरिष्ठ प्राध्यापक हैं। एक्सीलैंस इंस्टीट्यूट के प्राध्यापक डॉ. मनोज शुक्ला को कमेटी का संयोजक बनाया गया है तो गीतांजलि कॉलेज भोपाल की प्रभारी प्राचार्य डॉ. जयश्री मिश्रा और एमवीएम के प्रभारी प्राचार्य डॉ. राकेश सिंह सहित हमीदिया कॉलेज के प्राध्यापक प्रदीप शर्मा और शासकीय श्यामा प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. सुधांशुधर द्विवेदी को सदस्य बनाया है। कमेटी को जल्द रिपोर्ट देने के निर्देश हैं।
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