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20 महीने बाद फिर सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यसमिति की बैठक में बीस महीने बाद सोनिया गांधी को दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फैसला किया गया। उन्हें नया अध्यक्ष बनने तक अंतरिम अध्यक्ष बनाए की घोषणा की गई। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकार वार्ता में उनके अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले के बारे में जानकारी दी।
सुरजेवाला ने पत्रकारवार्ता में बताया कि शनिवार को दिनभर चली बैठकों के दौर के बाद यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। देशभर के पांचों क्षेत्रों के प्रभारियों ने संबंधित प्रदेशों के कांग्रेस नेताओं के साथ चर्चा की। इसके बाद रात को कार्यसमिति की बैठक शुरू हुई जिसमें कश्मीर के हालातों पर चर्चा हुई। साथ ही पार्टी के हित में सोनिया गांधी ने नय़ा अध्यक्ष बनने तक अंतरिम अध्यक्ष पद पर बने रहने के सभी के फैसले को स्वीकारा।
वहीं, देखा जाए तो सोनिया गांधी के फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से मध्यप्रदेश कांग्रेस में हांसिये पर पहुंच गए नेताओं के एकबार फिर शक्ति केंद्र बनने की संभावना है। मुख्यमंत्री कमलनाथ के और मजबूत होने की संभावना है तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की दिल्ली में पूछपरख फिर बढ़ सकती है। वहीं, प्रदेश के युवा नेताओं को इस फैसले के बाद झटका भी लग सकता है। सोनिया गांधी के आने से मुख्यमंत्री कमलनाथ की कुर्सी स्थायी होने तथा उन्हें अपने हिसाब से फैसले लेने की शक्ति मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।
दिसंबर 2017 में राहुल गांधी को पार्टी की कमान मिलने के बाद मध्यप्रदेश में संगठन का नेतृत्व बदलने के लिए जमकर कवायद चली और राष्ट्रीय युवा नेतृत्व आने से प्रदेश में युवाओं को मौका देने की रणनीति पर काम हुआ। मगर प्रदेश की कमान कमलनाथ को सौंपी गई जिसके लिए प्रदेश के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कतार में थे। संगठन की जिम्मेदारी कमलनाथ को देेने के फैसले में राहुल गांधी के अध्यक्ष होने के बाद भी सोनिया गांधी की सहमति थी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गांधी परिवार के संजय गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिय़ा गांधी के साथ काम किया था। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के संबंध उनसे गहरे हुए। इसका अप्रत्यक्ष रूप से मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति पर भी असर दिखाई दिया। सोनिया गांधी के फिर अध्यक्ष बनने से एकबार फिर यह बदलाव दिखाई देने की संभावना है। इससे सिंधिया जैसे युवा नेताओं पर बुजुर्ग नेताओं के फिर शक्ति केंद्र बनने की संभावना है। वैसे अभी भी मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कांग्रेस की राजनीति में शक्ति केंद्र हैं लेकिन सोनिया गांधी के बनने से उनकी दिल्ली में पूछपरख बढ़ने के आसार हैं।
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