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फैन इंडिया का देशव्यापी अभियान ‘नो बैंक चार्जेस’
जनसंवाद फाइनेंसियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया (फैन इंडिया, www.fanindia.net) के द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी अभियान ‘नो बैंक चार्जेस’ का एक हिस्सा है । फाइनेंसियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की जवाबदेही और पारदर्शिता के मुद्दों को उठाने के लिए नागरिक समाज संगठनों, यूनियनों, लोगों के आंदोलनों और संबंधित नागरिकों का एक समूह है।
‘नो बैंक चार्जेस’ अभियान के माध्यम से हम बैंक शुल्क से प्रभावित जनता के साथ जुड़कर सरकार एवं आरबीआई से इन शुल्कों को हटाने की माँग कर रहे है । बैंक शुल्कों का मुद्दा महत्वपूर्ण है, खासकर ऐसे समय में जब सभी बैंक या तो नए शुल्कों की शुरुआत कर रहे हैं या बैंकिंग सेवाओं के लिए शुल्क बढ़ा रहे हैं। एक बात यह भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अपनी ऋण गतिविधियों के लिए आम लोगों की बचत की जमा राशि पर निर्भर है। इस जमा राशि का उपयोग कॉर्पोरेट क्षेत्र को जारी किए गए ऋणों के लिए किया गया, जहां इनमें से कई ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए – ऐसे ऋण जो बैंकों को वापिस नहीं लौटाए गये) में बदल गए हैं। कॉर्पोरेट ऋणों की वसूली और डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार और आरबीआई की ओर से कोई मजबूत कदम नहीं उठाए गए है। और ऐसे ही समय में, बैंक कॉर्पोरेट ऋणों से अपने नुकसान की भरपाई के लिए जमाकर्ताओं पर मनमाना शुल्क लगा के वसूल कर रहे हैं।
21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको एवं 3 निजी बैंकों ने पिछले चार साल में खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर अपने ग्राहकों से 11,500 करोड़ रुपये दंड के तौर पर वसूले। ये सिर्फ एक तरह के शुल्क से ली गयी राशि है। इसके अलावा बैंक शाखा में जाकर पैसे जमा करवाने एवं निकालने पर शुल्क, डेबिट कार्ड पर शुल्क (सालाना शुल्क, कार्ड जारी करने का शुल्क, नवीनीकरण शुल्क), एटीएम से किए गए लेनदेन पर शुल्क (नकद निकासी पर शुल्क, बैलेन्स पूछताछ करने पर शुल्क, मिनी स्टेटमेंट निकालने पर शुल्क), अपर्याप्त राशि होने के कारण एटीएम कार्ड से हुए असफल लेनदेन पर शुल्क; मोबाइल नंबर, पता एवं केवाईसी जैसी जानकारी के बदलने पर शुल्क, एसएमएस सेवा पर शुल्क, ऑनलाइन लेनदेन पर शुल्क, बैलेन्स प्रमाण पत्र एवं हस्ताक्षर सत्यापन करवाने पर शुल्क, डेबिट कार्ड के उपयोग करने पर अधिभार, दूसरों के खाते में नकद जमा करवाने पर शुल्क जैसे बहुत सारे शुल्क हैं जिनके माध्यम से बैंक अपने ग्राहकों से पैसे वसूलता है। (बैंकों ने इन सब शुल्कों के माध्यम से कितने पैसे वसूले हैं, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है।)
फाइनेंसियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया (फैन इंडिया, www.fanindia.net) के द्वारा शुरू किए गए देशव्यापी अभियान ‘नो बैंक चार्जेस’ का एक हिस्सा है । फाइनेंसियल अकाउंटेबिलिटी नेटवर्क इंडिया राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की जवाबदेही और पारदर्शिता के मुद्दों को उठाने के लिए नागरिक समाज संगठनों, यूनियनों, लोगों के आंदोलनों और संबंधित नागरिकों का एक समूह है।
‘नो बैंक चार्जेस’ अभियान के माध्यम से हम बैंक शुल्क से प्रभावित जनता के साथ जुड़कर सरकार एवं आरबीआई से इन शुल्कों को हटाने की माँग कर रहे है । बैंक शुल्कों का मुद्दा महत्वपूर्ण है, खासकर ऐसे समय में जब सभी बैंक या तो नए शुल्कों की शुरुआत कर रहे हैं या बैंकिंग सेवाओं के लिए शुल्क बढ़ा रहे हैं। एक बात यह भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र अपनी ऋण गतिविधियों के लिए आम लोगों की बचत की जमा राशि पर निर्भर है। इस जमा राशि का उपयोग कॉर्पोरेट क्षेत्र को जारी किए गए ऋणों के लिए किया गया, जहां इनमें से कई ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए – ऐसे ऋण जो बैंकों को वापिस नहीं लौटाए गये) में बदल गए हैं। कॉर्पोरेट ऋणों की वसूली और डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार और आरबीआई की ओर से कोई मजबूत कदम नहीं उठाए गए है। और ऐसे ही समय में, बैंक कॉर्पोरेट ऋणों से अपने नुकसान की भरपाई के लिए जमाकर्ताओं पर मनमाना शुल्क लगा के वसूल कर रहे हैं।
21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको एवं 3 निजी बैंकों ने पिछले चार साल में खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर अपने ग्राहकों से 11,500 करोड़ रुपये दंड के तौर पर वसूले। ये सिर्फ एक तरह के शुल्क से ली गयी राशि है। इसके अलावा बैंक शाखा में जाकर पैसे जमा करवाने एवं निकालने पर शुल्क, डेबिट कार्ड पर शुल्क (सालाना शुल्क, कार्ड जारी करने का शुल्क, नवीनीकरण शुल्क), एटीएम से किए गए लेनदेन पर शुल्क (नकद निकासी पर शुल्क, बैलेन्स पूछताछ करने पर शुल्क, मिनी स्टेटमेंट निकालने पर शुल्क), अपर्याप्त राशि होने के कारण एटीएम कार्ड से हुए असफल लेनदेन पर शुल्क; मोबाइल नंबर, पता एवं केवाईसी जैसी जानकारी के बदलने पर शुल्क, एसएमएस सेवा पर शुल्क, ऑनलाइन लेनदेन पर शुल्क, बैलेन्स प्रमाण पत्र एवं हस्ताक्षर सत्यापन करवाने पर शुल्क, डेबिट कार्ड के उपयोग करने पर अधिभार, दूसरों के खाते में नकद जमा करवाने पर शुल्क जैसे बहुत सारे शुल्क हैं जिनके माध्यम से बैंक अपने ग्राहकों से पैसे वसूलता है। (बैंकों ने इन सब शुल्कों के माध्यम से कितने पैसे वसूले हैं, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है।)
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