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बुंदेली गायन-असमिया लोक समूह नृत्य से उत्तराधिकार श्रृंखला में रौनक

बुंदेली गायन-असमिया लोक समूह नृत्य से उत्तराधिकार श्रृंखला में रौनक

मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में गायन, वादन एवं नृत्य गतिविधियों पर केंद्रित श्रृंखला ‘उत्तराधिकार’ में आज ‘बुंदेली गायन’, ‘कथक नृत्य ‘ एवं ‘असमिया लोक समूह नृत्य’ की प्रस्तुतियाँ संग्रहालय सभागार में हुईं। कार्यक्रम की शुरुआत राज कुमार सिंह ठाकुर(सागर) ने अपने साथी कलाकारों के साथ ‘बुंदेली गायन’ से की। कलाकारों ने गायन की शुरुआत ‘मोरो सोचत मन पछताय’ गीत प्रस्तुत कर की।

राजकुमार सिंह ठाकुर ने इसके बाद अपने साथी कलाकारों के साथ ‘मन भर जावे मेरो’, ‘पूरव में पश्चिम की हवा’ और ‘नदिया पेले पार ढोल’ गीत प्रस्तुत कर सभागार में मौजूद श्रोताओं को अपने गायन कौशल से मंत्रमुग्ध कर दिया| इसके बाद कलाकारों ने ‘रुनक-झुनक नाचत आवे’ और ‘राम खो सुमरों, श्याम खो सुमरों’ गीत प्रस्तुत किये| राज कुमार सिंह ठाकुर ने अपने साथी संगतकारों के साथ ‘वनरा चतुर सुजान’ और ‘सांसी-सांसी तो बता’ गीत प्रस्तुत करते हुए अपनी गायन प्रस्तुति को विराम दिया| गायन प्रस्तुति के दौरान राज कुमार सिंह ठाकुर का साथ हारमोनियम और गायन में दीदचंद ने, मृदंग पर राजकुमार ने, झींका पर प्रहसिंह और सुल्तान सिंह ने, ढोलक पर अमित ने, मंजीरे पर नारायण कुर्मी ने और नगाड़ी पर राकेश अहिरवार ने दिया| राज कुमार सिंह ठाकुर लम्बे समय से गायन के क्षेत्र में सक्रीय हैं| राज कुमार सिंह ठाकुर ने गायन की कई प्रस्तुतियाँ देश के विभिन्न कला मंचों पर दी हैं|

बुंदेली गायन के बाद गुरु मरामी मेधी(असम) ने अपने साथी कलाकारों के साथ ‘आर्य’ नृत्य-नाटिका अंतर्गत ‘कथक नृत्य’ एवं ‘असमिया लोक समूह नृत्य’ प्रस्तुत किया| यह प्रस्तुति आर्य देवी पर केंद्रित रही| यह प्रस्तुति लगभग एक घण्टे की रही| इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया कि किस तरह माँ आर्या की उत्पति हुई और किस तरह उन्होंने शुम्भ-निशुम्भ और महिषासुर का वध किया|

नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत गुरु मरामी मेधी ने अपने साथी कलाकरों के साथ देवी स्तुति ‘सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते’ पर नृत्य प्रस्तुत कर की| इसके पश्चात् कलाकारों ने ‘जो आद्या देवी वो आर्य देवी हे परमेश्वरी!’ पर नृत्य प्रस्तुत किया| इस प्रस्तुति में माँ आर्या के रूप को कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से मंच पर बिम्बित किया| इसके बाद नृत्यांगनाओं ने देवधानी नृत्य(असमिया लोक नृत्य) शैली माध्यम से माता दुर्गा के रौद्र रूप को मंच पर दर्शकों समक्ष प्रस्तुत किया| इसके बाद कलाकारों ने ओझा-पाली नृत्य(असमिया लोक नृत्य) शैली में शुम्भ-निशुम्भ और महिषासुर के वध को प्रस्तुत कर सभागार में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया| गुरु मरामी मेधी ने अपने साथी कलाकारों के साथ ‘रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि’ और ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता’ स्तुतियों पर नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी नृत्य प्रस्तुति को विराम दिया|

नृत्य प्रस्तुति के दौरान गुरु मरामी मेधी का साथ मंच पर मेघरंजनी मेधी, सुकन्या बोरा, अमृतप्रवा महंता, बरनाली कलिता, हिमश्री शर्मा और हृदय परेश कलिता आदि ने अपने नृत्याभिनय कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया| प्रस्तुति के दौरान प्रकाश सञ्चालन में कौशिक ने सहयोग किया| गुरु मरामी मेधी को कई प्रतिष्ठित सम्मानों और पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है| गुरु मरामी मेधी ने देश के विभिन्न कला मंचों पर नृत्य की कई मोहक प्रस्तुतियाँ दी हैं|

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