Warning: mysqli_real_connect(): Headers and client library minor version mismatch. Headers:100311 Library:30121 in /home/khabar/domains/khabarsabki.com/public_html/wp-includes/class-wpdb.php on line 2035
प्रेमचंद के साहित्य में शोध की नई दृष्टि, विषय पर वेबिनार

प्रेमचंद के साहित्य में शोध की नई दृष्टि, विषय पर वेबिनार

हमारे समय में परिस्थितियाँ बदलती रहती है। बदली हुई परिस्थितियों में चुनौतियाँ आती रहती है। उन चुनौतियों के समाधान को लेकर हम प्रेमचंद या किसी और रचनाकार के साहित्य के माध्यम से साहित्य या सामाजिक शोध को अपनाते है। किसी भी शोध के लिये बेहतर, सम्यक एवं सही दृष्टि का होना बहुत जरूरी होता है। जब हम प्रेमचंद के साहित्य पर शोध करते है तो पाते है कि हमारे समाज में प्रेमचन्द की रचनाओं में आये तमाम किरदार– होरी, धनिया, गोबर, रुकमणी, मालती आदि अभी भी जिन्दा है। यह विचार डॉ, राजीव रंजन गिरि, वरिष्ठ साहित्यकार एवं सह-प्राध्यापक, राजधानी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा व्यक्त किये गए।

डॉ. राजीव रंजन गिरि ने उक्त विचार प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र, मानविकी एवं उदार कला संकाय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में “प्रेमचंद के साहित्य में शोध की नई दृष्टि” विषय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
डॉ. राजीव रंजन गिरि ने आगे कहा कि प्रेमचंद के साहित्य पर बहुत शोध हुए है। प्रेमचंद की प्रासंगिकता के अपने मायने है। प्रेमचंद सामाजिक बदलाव चाहते थे।प्रेमचंद के दौर के सवाल आज भी जस के तस खड़े हैं। प्रेमचंद के साहित्य पर शोध की नई दृष्टि के लिए आपको उन पर कार्य कर चुके लोगों से रचनात्मक रूप से टकराना होगा न कि पटवारी बनना होगा। प्रेमचंद पर शोध के लिए सामाजिकता, राष्ट्रीयता, अंतर्राष्ट्रीयता और मानवता को आधार बनाकर सम्यक दृष्टिकोण के साथ काम करना होगा।
इस अवसर पर डॉ. संगीता जौहरी, डीन, मानविकी एवं उदार कला संकाय ने विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे शोध कार्यों पर प्रकाश डाला। स्वागत उद्बोधन डॉ. उषा वैद्य, विभागाध्यक्ष द्वारा दिया गया। डॉ. राजीव रंजन गिरि का परिचय प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र के समन्वयक संजय सिंह राठौर द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मौसमी परिहार समन्वयक,प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र द्वारा किया गया। अंत में आभार संजय सिंह राठौर द्वारा व्यक्त किया गया। उल्लेखनीय है कि गूगल मीट पर ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस शोध वेबिनार में बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं, फेकल्टी सदस्यों, साहित्यानुरागियों ने रचनात्मक भागीदारी की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today