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ई-कॉमर्स पोर्टल्स की फ़ेस्टिवल सेल पर कैट का एतराज़
आगामी त्योहारी सीजन और ऑनलाइन बिक्री के मद्देनजर त्यौहारों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न ई कामर्स पोर्टल ने अपने पोर्टलों पर फ़ेस्टिवल सेल लगाने की घोषणा की है जिस पर कैट ने कड़ा ऐतराज़ जताया है।
कैट के प्रवक्ता विवेक साहू ने बताया कि कैट के प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से आग्रह किया है की इस प्रकार की फ़ेस्टिवल सेल पर रोक लगाई जाए ।
ज्ञातव्य है कुछ दिन पूर्व श्री पीयूष गोयल ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेकर स्पष्ट रूप से कहा था की सरकार किसी भी पोर्टल पर लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचने को क़तई अनुमति नहीं देगी। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने ई-कॉमर्स पोर्टल की बिक्री की वैधता पर जोरदार सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बिक्री केवल वो ही लोग कर सकते हैं जो स्टॉक के मालिक है जबकि यह पोर्टल केवल एक मार्केट्प्लेस हैं और बेचे जाने वाले सामान के मालिक नहीं है । कैट कैट के प्रवक्ता विवेक साहू ने आगे बताया कि एफडीआई नीति 2016 की प्रेस नोट संख्या 2 के अनुसार किसी भी बिक्री या कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकती इस लिहाज़ से ई कामर्स कम्पनियों द्वारा इस प्रकार की सेल लगाना पॉलिसी का उल्लंघन है । उन्होंने कहा कि इन ई-कॉमर्स पोर्टल्स में बड़ी संख्या में वेयरहाउस भी हैं। जब ये केवल मार्केट्प्लेस हैं तो उन्हें गोदाम रखने की क्या आवश्यकता है। यह दर्शाता है कि वे स्टॉक रख रहे हैं जो पॉलिसी के माध्यम से वे नहीं कर सकते। इसके अलावा, विभिन्न पोर्टलों पर कैश बैक को भी रोका जाना चाहिए क्योंकि यह कीमतों को प्रभावित करता है
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश अग्रवाल एवं राधेश्याम महेश्वरी ने कहा कि ये ई-कॉमर्स पोर्टल पॉलिसी को काफी प्रभावित कर रहे हैं और अपने संबंधित पोर्टल पर बिक्री में लगे हुए हैं जो ऑफलाइन बाजार को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
अन्य क्षेत्रों जैसे ट्रांसपोर्टर्स, एसएमई, किसान, उपभोक्ता, स्वयं उद्यमी और महिला उद्यमी, हॉकर्स आदि का इस सप्ताह में एक सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है और सरकार से इस साल की ऑनलाइन बिक्री में फ़ेस्टिवल सेल पर रोक लगाने का आग्रह किया जाएगा ।
श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे कहा है अगर जरूरत पड़ी तो कैट इस तरह की त्योहारी बिक्री को रोकने के लिए न्यायालय की शरण भी लेगी क्योंकि यह स्पष्ट रूप से नीति का उल्लंघन है और सरकार को इन ई-कॉमर्स कंपनियों के बारे में कई बार सूचित किया है जो कथित रूप से लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना ,गहरी छूट और हानि वित्तपोषण जैसे कुप्रभावों में शामिल हैं, जिससे बाजार में असमान स्तर का खेल मैदान बना है।
कैट ने ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा गहरी छूट के सभी उदाहरणों को उजागर करने के लिए एक श्वेत पत्र तैयार करने का भी निर्णय लिया है और सरकार को भी प्रस्तुत करेगा।
कैट के प्रवक्ता विवेक साहू ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि श्री गोयल से ई-कॉमर्स नीति के मसौदे को रोल आउट करने का भी आग्रह किया है क्योंकि यह ई-कॉमर्स पोर्टलों पर पारदर्शी तरीके से काम करने के लिए किसी भी प्रकार की दुर्भावना के साथ काम नहीं करेगा।
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