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स्‍वास्‍थ्‍य के सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्‍ट्रीय और वैश्विक स्‍तर पर प्रतिबद्ध

स्‍वास्‍थ्‍य के सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्‍ट्रीय और वैश्विक स्‍तर पर प्रतिबद्ध

‘‘भारत सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्‍ट्रीय और वैश्विक स्‍तर पर प्रतिबद्ध है और भारत को सस्‍ते चिकित्‍सा उपकरणों के केन्‍द्र के रूप में विकसित करने पर विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है।’’ केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवारकल्‍याण मंत्री श्री जे पी नड्डा ने आज यहां ‘सतत विकास के लिए 2030 के एजेंडा के संदर्भ में चिकित्‍सा उत्‍पादों तक पहुंच और व्‍यापार तथा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय कानूनों पर पहले विश्‍व सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।स्‍वास्‍थ्य मंत्री ने कहा के सस्‍ते चिकित्‍सा उत्‍पाद विकसित करने के लिए उद्योग और शैक्षणिक समुदाय के बीच सहयोग को इस प्रकार बढ़ाने की जरूरत है कि चिकित्‍सा क्षेत्र में नए अविष्‍कार और इस क्षेत्र की प्रगति जनसंख्‍या के बड़े हिस्‍से तक पहुंच सके।इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल, नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वी. के. पॉल, स्‍वास्‍थ्‍य सचिव श्रीमती प्रीति सूदन, स्‍वास्‍थ्‍य और अनुसंधान विभाग में सचिव और आईसीएमआर में महानिदेशक डॉ. सौम्‍या स्‍वामीनाथन तथा स्‍वास्‍थ्‍य सेवा महानिदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद मौजूद थे।नियामक प्राधिकारों और फार्मा क्षेत्र के बीच पारदर्शिता के महत्‍व को उजागर करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि राष्‍ट्रीय नियामक प्राधिकारों और फार्मास्‍यूटिकल क्षेत्र के बीच समन्‍वय से नई स्‍वास्‍थ्‍य टेक्‍नोलॉजी को शुरू किया जा सकेगा औरउसका पंजीकरण हो सकेगा। उन्‍होंने कहा कि प्रतिस्‍पर्धात्‍मक मूल्‍यों में प्रतिस्‍पर्धा की भूमिका के बारे में बातचीत और स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करने वाले संबंधित डब्‍ल्‍यूटीओ समझौतों पर विचार-विमर्श से सरकार को बड़े पैमाने पर नीतिगत विकल्‍प मिल सकेंगे।श्री नड्डा ने कहा कि 2015 की राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा उपकरण नीति स्‍थानीय निर्माता को बहुउत्‍पाद, बहुविषयक उद्योग के लिए सक्षम बनाएगी। उन्‍होंने कहा ‘‘भारत में प्रतिदिन करीब 150 हजार घुटनों का इलाज किया जाता है। चिकित्‍सा उपकरणों केक्षेत्र में अधिक निवेश और प्रभावी व्‍यक्तियों अथवा समूहों के अधिक संख्‍या में जुड़ने से कीमतें कम होगी और चिकित्‍सा उत्‍पादों तक पहुंच बढ़ेगी क्‍योंकि अधिकतर सरकारें चिकित्‍सा उत्‍पादों तक पहुंच और उनके मूल्‍यों को लेकर संवेदनशील हैं।वीडियो लिंक के जरिए सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबेने कहा कि सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य में अनुसंधान और विकास में दो प्रमुख पहलुओं पर विशेष ध्‍यान दिया जाना चाहिए। इसमें बीमारियों के लिए सुरक्षित, प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण चिकित्‍सा उत्‍पाद तथा क्षेत्र से जुड़े लोगों से प्राप्‍त जानकारी नएअविष्‍कारों और नव परिवर्तनों को पहली बार उपलब्‍ध कराना शामिल है। उन्‍होंने कहा कि अनुसंधान और विकास में चिकित्‍सा उपकरणों/उत्‍पादों के मूल्‍यों को सस्‍ती दरों पर लोगों को उपलब्‍ध कराने पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए। उन्‍होंने एंटी-माइक्रोबायल रेजिस्‍टेंस (एएमआर) के मुद्दे को भी उजागर किया।समारोह में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण राज्‍य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत अपने नागरिकों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के सर्वोच्‍च मानक हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर चिकित्‍सा उत्‍पादों (दवाओं,टीकों, चिकित्‍सा उपकरणों और निदान) तक पहुंच कुल मिलाकर स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली में और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक महत्‍वपूर्ण पहलू है, 2030 के सतत विकास लक्ष्‍य एजेंडा की सफलता के लिए चिकित्‍सा उत्‍पादों तक पहुंच एक महत्‍वपूर्ण तत्‍व है जिसका उद्देश्‍य स्‍वस्‍थ जीवन सुनिश्चित करना और सभी आयु वर्ग के लोगों के कल्‍याण को बढ़ावा देना है।नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वी. के. पॉल ने कहा कि निरोधक थेरेपी और इलाज के लिए चिकित्‍सा उत्‍पादों में निवेश कीआवश्‍यकता है। उन्‍होंने सस्‍ती दवाओं और उपकरणों तक अधिक पहुंच के लिए नीति और नव परिवर्तन की एक ईको प्रणाली बनाने तथा इन्‍हें खरीदने की क्षमता, गुणवत्ता घरेलू उत्‍पादन क्षमता के महत्‍व पर विशेष जोर दिया। डॉ. वी. के. पॉल ने कहा किकिसी भी देश में चिकित्‍सा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए प्रौद्योगिकी एक अभिन्‍न खंड है और सुदूरवर्ती एवं ग्रामीण इलाकों में आपूर्तिकर्ताओं द्वारा चिकित्‍सा उपकरणों का समय पर रख-रखाव इस तरह से सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उपकरण दक्षता से कार्य करें।स्‍वास्‍थ्‍य सचिव श्रीमती प्रीति सूदन ने दवाओं और चिकित्‍सा उत्‍पादों तक पहुंच की चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि सुरक्षित चिकित्‍सा उत्‍पाद कम मूल्‍यों पर उपलब्‍ध होने चाहिए। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और दवाओं की प्रभावोत्‍पादकता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत नियंत्रण प्रणाली बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।आईसीएमआर की महानिदेशक डॉ. सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने उत्‍पादन की लागत कम करने और उनकी डि‍लीवरी के लिए टीआरआईपी के लचीलेपन का कैसे इस्‍तेमाल किया जाए; सस्‍ती दवाओं और उपकरणों के वैकल्पिक मॉडल जैसे स्‍वैच्छिक लाइसैसिंग; स्‍पष्‍ट निर्दिष्‍ट नियामक मार्ग; अनुसंधान और विकास तथा सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश; नवोन्‍मेष स्‍वास्‍थ्‍य सेवा डिलीवरी मॉडल; एंटी बायोटिक प्रबंधन; और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग जैसे मुद्दों पर जोर दिया।इस सम्‍मेलन का आयोजन स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने भारत में डब्‍ल्‍यूएचओ के कंट्री ऑफिस के सहयोग से और भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय विधि सोसायटी की भागीदारी से किया है। सम्‍मेलन का उद्देश्‍य जानकारी का आदान-प्रदान करना और अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार कानूनों, अनुसंधान तथा नवोन्‍मेष में आधुनिक मुद्दों पर समझ बनाना है ताकि एसडीजी 2030 का एजेंडा हासिल करने के लिए चिकित्‍सा उत्‍पादों तक पहुंच बन सके।इस अवसर पर स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय में अपर सचिव डॉ. आर. के. वत्‍स; भारत में डब्‍ल्‍यूएचओ के प्रतिनिधि डॉ. हेंक बेकेदम; और भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय विधि सोसायटी के अध्‍यक्ष डॉ. ईएमएस नचिअप्‍पन, मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी, विभिन्‍न देशों और विकास संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

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