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सफलता सुनिश्चित करना सिविल सेवकों का दायित्व
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जनता और जन-प्रतिनिधियों को जोड़कर शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन जन-अभियान के रूप में किया जाना चाहिए। जनता की सहभागिता से किये गये कार्यों की सफलता सुनिश्चित होती है। यह सफलता अन्य किसी तरीके से किये गये प्रयासों से कई गुना अधिक होती है। श्री चौहान आज आर.सी. व्ही.पी.नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में सिविल सर्विस-डे कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जन-प्रतिनिधि जन-भावनाओं से अवगत होते हैं। उनके साथ संतुलित ताल-मेल और समन्वय जरूरी है। जन-प्रतिनिधियों से शासकीय प्रयासों के प्रभावों और जन-भावनाओं का बेहतर फीडबैक मिलता है। योजनाओं एवं कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित करना सिविल सेवक का दायित्व है। शासन की नीतियों का क्रियान्वयन तभी सफल होगा, जब उसका लाभ लक्षित वर्ग को मिलें, मंशा के अनुरूप जनता को योजना का लाभ नहीं मिलने से विफलता ही हाथ लगेगी। श्री चौहान ने विभिन्न योजनाओं के उद्देश्यों और प्रक्रियाओं के प्रसंगों के आधार पर सिविल सेवक की सकारात्मक सोच की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि सिविल सेवा नौकरी नहीं, मिशन है। आम आदमी का भविष्य उज्जवल बनाने की जिम्मेदारी सिविल सेवक की है। उन्होंने कहा कि जनतंत्र की समस्त व्यवस्थाएँ जन के लिये हैं। इसलिये तंत्र को जन-भावनाओं के अनुरूप ही चलना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार नीतियाँ बनाती हैं। उन्हें जमीनी हकीकत देने का कार्य सिविल सेवक द्वारा किया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की प्रगति और जन-कल्याण सिविल सेवा का उद्देश्य है। इसलिये सकारात्मक सोच और संवेदना के साथ निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये रोडमेप बनाकर कार्य करना आवश्यक है। निर्धारित लक्ष्यानुसार नियम, प्रक्रियाओं का निर्माण और क्रियान्वयन हो। उन्होंने मुख्यमंत्री असंगठित मजदूर सुरक्षा योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना के जरिये आधी आबादी के भविष्य को उज्जवल बनाने का उपक्रम प्रारंभ किया गया है। इसमें हर गरीब को रहने के लिये भूमि का टुकड़ा, मकान, शिक्षा और उपचार आदि की अत्यंत मानवीय व्यवस्थाएँ की गई हैं। हर प्रसूता को पोषण आहार और विश्राम का हक है, जो उसे मिलना ही चाहिए। नियम-प्रक्रियाओं का स्वरूप भी उसके अनुरूप होना चाहिए। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये मुख्यमंत्री ने इसमें जनता को जोड़कर इसे जन-अभियान का रूप देने की जरूरत बताई। उन्होंने पंचायत स्तर पर पाँच-पाँच व्यक्तियों का दल गठित कर इस योजना का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने पर बल दिया। श्री चौहान ने कहा कि सिविल सेवक में कार्य के प्रति तड़प का भाव होना सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कार्य-प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि देश का प्रधानमंत्री किसी राज्य के कुछ पिछड़े जिलों की प्रगति के प्रति कितना चिंतित हो सकता है, इस का अभूतपूर्व उदाहरण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रस्तुत किया है। राज्य के कुछ पिछड़े जिलों की प्रगति की वे स्वयं समीक्षा कर रहे है। कार्य के प्रति समर्पण और त्याग का यह आदर्श रूप है। इससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने गीता के श्लोक द्वारा सिविल सेवकों को सात्विक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने का दिशा-दर्शन देते हुए कहा कि टीम भावना के साथ निष्पक्ष रूप से कार्य करें, अहंकार से मुक्त रहें। चुनौतियों का सामना धैर्य के साथ करें। सदैव उत्साह से भरे रहें। सफलता-विफलता से प्रभावित नहीं हों। श्री चौहान ने कार्यक्षमता को बेहतर बनाने और त्वरित निर्णय लेने के लिये गैर-जिम्मेदाराना आक्षेपों से सिविल सेवकों को संरक्षण प्रदान की व्यवस्था पर विचार करने का आश्वासन दिया।
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