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मोशन के लालच में घाटा छुपाते हैं बैंक मैनेजरःदेबाशीष घोष
सरकारी क्षेत्र के बैंकों के मैनेजर नए खाते खोलकर पुराने कर्जों की देनदारी खत्म दर्शा देते हैं जिससे बैंकों का घाटा बढ़ता जाता है। बदलते दौर में जब निजी क्षेत्र के बैंकों को सरकारी बैंकों की प्रतिस्पर्धा में उतार दिया गया है तब ये आंकड़ों की बाजीगरी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की मौत की वजह बनने लगी है। सरकार ने बैंकों का संविलियन करके बैंकिंग कारोबार का घाटा बढ़ा दिया है। हम सबको सरकार की इन नीतियों की खुली मुखालिफत करनी होगी, नहीं तो देश की जनता को लुटेरे सूदखोरों के जंजाल से नहीं बचाया जा सकेगा। आल इंडिया यूनियन बैंक आफिसर्स फेडरेशन के महासचिव और एआईबीओसी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कॉमरेड देवाशीस घोष ने आज भोपाल में आयोजित 103 वीं स्पेशल कमेटी की मीटिंग में ये विचार व्यक्त किए।
यूनियन बैंक आफिसर्स एसोसिएशन की मध्यप्रदेश इकाई ने अपनी 19 वीं साधारण सभा की बैठक में वार्षिक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। इस अवसर पर आल इंडिया यूनियन बैंक आफिसर्स फेडरेशन के अध्यक्ष कामरेड प्रभात सक्सेना का विदाई समारोह भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर एआईयूबीओएफ के महासचिव देबाशीष घोष, एआईसीओबीएफ के महासचिव मनोज वाडनेरकर, यूनियन बैंक अंचल भोपाल के जनरल मैनेजर योगेन्द्र सिंह, मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष ए.आर.वाणी समेत देश भर से आए बैंक अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद थे। स्वागत अध्यक्ष महेश पहलाजानी, नए अध्यक्ष के रूप में मनोनीत कामरेड अभन, कामरेड विपिन शर्मा और ट्रेड यूनियनों के अनेक पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
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