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मशहूर साहित्यकार नामवर सिंह नहीं रहे
हिंदी साहित के नामी साहित्यकार नामवर सिंह का दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से ट्रामा यूनिट में भर्ती थे। ब्रेन हेमरेज के कारण उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। सिंह 92 साल के थे। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के लोधी घाट पर किया गया।
आजाद भारत में साहित्य की दुनिया में नामवर सिंह का नाम सर्वाधिक चर्चित रहा है. कहा जाता है कि उनकी ऐसी कोई किताब नहीं जिस पर वाद-विवाद और संवाद न हुआ हो। देश भर में घूम-घूमकर वे अपने व्याख्यानों, साक्षात्कारों से सांस्कृतिक हलचल उत्पन्न करते रहे। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है.
नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर (अब चंदौली) वाराणसी में हुआ था। उन्होंने अधिकतर आलोचना, साक्षात्कार इत्यादि विधाओं में सृजन किया। उन्होंने आलोचना और साक्षात्कार विधा को नई ऊंचाई दी। नामवर सिंह ने साहित्य में काशी विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की। इसके बाद वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे। उनकी छायावाद, नामवर सिंह और समीक्षा, आलोचना और विचारधारा जैसी किताबें चर्चित हैं।
नामवर सिंह की मुख्य रचनाएं
बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद विवाद संवाद
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