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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कमलनाथ के मार्च पर सवाल
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री राकेश सिंह ने 25 दिसम्बर को प्रस्तावित कांग्रेस की संविधान बचाओ न्याय शांति यात्रा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों को धार्मिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में ये लोग अपना धर्म, अपनी बहन-बेटियों की इज्जत और अपनी जान बचाकर भारत आए हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी पार्टी मार्च निकालकर क्या उन लाखों हिंदुओं, सिखों, ईसाईयों, बौद्धों और पारसियों को नागरिकता दिये जाने का विरोध कर रहे हैं ? उन्हें यह बात प्रदेश की जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि यह कानून नागरिकता देने का कानून है छीनने का नहीं। राकेश सिंह ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और पारसियों को धार्मिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन पर धर्म बदलने के लिए अत्याचार किए जा रहे हैं। पुरुषों की हत्याएं की जा रही हैं और बहन-बेटियों को घर से उठाकर उनके साथ बलात्कार किये जा रहे हैं, उनका जबरन निकाह कराया जा रहा है। नागरिकता संशोधन कानून बनाकर प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की सरकार ने इन लोगों को भारत में सम्मान से जीने का हक दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनकी पार्टी इसके विरोध में मार्च निकाल रहे हैं। श्री राकेश सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से सवाल करते हुए कहा कि मार्च निकालने से पहले उन्हें प्रदेश की जनता को यह बताना चाहिए कि क्या वे नहीं चाहते कि लाखों की संख्या में भारत आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों के इन लोगों को भारत की नागरिकता मिले? क्या कांग्रेस और मुख्यमंत्री कमलनाथ यह नहीं चाहते कि ये लोग अपनी मर्जी से अपने धर्म का पालन करते रहें? क्या वे यह नहीं चाहते कि इन लोगों की बहू-बेटियों की आबरू सुरक्षित रहे? क्या वे नहीं चाहते कि इनके बच्चों को भी सम्मान से जीने का हक मिले? श्री सिंह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करके मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस पार्टी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान के रचयिता डॉ. अंबेडकर का भी अपमान कर रहे हैं, जिन्होंने यह कहा था कि यदि पाकिस्तान में रह रहे प्रताड़ित अल्पसंख्यक भारत आना चाहें तो आ सकते हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ एक अनुभवी और परिपक्व राजनेता हैं और उन्हें यह विचार करना चाहिए कि क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के चलते मार्च निकालकर कहीं वे उन लाखों पीड़ितों से उनका हक छीनने का पाप तो नहीं कर रहे हैं।
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