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जबलपुर बार एसोसिएशन का दावा 75 फीसदी एट्रोसिटी एक्ट के मामले झूठे
जबलपुर बार एसोसिएशन ने एक सर्वे किया है जिसमें एट्रोसिटी एक्ट के मामलों का अध्ययन किया गया है। इसमें पाया गया है कि 75 फीसदी मामले झूठे होते हैं जिनमें फरियादी अदालत में बयान बदल देता है। इससे साबित होता है कि एट्रोसिटी एक्ट का दुरुपयोग होता है। जबलपुर बार एसोसिएशन के आदर्शमुनि त्रिवेदी ने बताया कि सर्वे में हाईकोर्ट की तीनों इकाइयों सहित 90 प्रतिशत जिला अदालतों में पहुंचे 2015-16 के एट्रोसिटी एक्ट के मामलों को शामिल किया गया था। इन मामलों में आरोपियों में से 81 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग होते हैं। 15 फीसदी उच्च वर्ग के और पांच फीसदी अल्पसंख्यक होते हैं। 90 फीसदी मामले अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा दर्ज कराए जाते हैं तो दस फीसदी अनुसूचित जनजाति द्वारा एफआईआर दर्ज कराई जाती है।
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