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ग्वालियर में बने बॉयो टॉयलेट देश में हुए लोकप्रिय

ग्वालियर में बने बॉयो टॉयलेट देश में हुए लोकप्रिय

ग्वालियर जिले में ईज़ाद हुए बॉयो-टॉयलेट अब पूरे देश में लोकप्रिय हो गये हैं। शौचालय के इस मॉडल को अपनाने की देश के शहरों में होड़ मची है। देश-विदेश के नगरीय निकायों के प्रतिनिधि मंडल इस मॉडल को देखने ग्वालियर आ रहे हैं। कम खर्चे में तैयार ये बॉयो-टॉयलेट देखकर सभी दंग रह जाते हैं। अभी पिछले दिनों देश के 50 नगरों से आए दल के सदस्य भी इन बॉयो-टॉयलेट को देखकर अचंभित रह गए। उनके आश्चर्यचकित होने की वजह यह थी कि बॉयो-टॉयलेट के जरिए न केवल कम खर्चे में और वैज्ञानिक तरीके से ह्यूमन वेस्ट का निष्पादन हो रहा है, बल्कि पानी की भी बचत हो रही है। ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) बनने में देशभर में अव्वल शहर ग्वालियर की एक्सपोजर विजिट पर ये दल आए थे। स्वच्छ भारत अभियान के अह्म हिस्से के रूप में ग्वालियर जिले में बॉयो-टॉयलेट का नवाचार हुआ है। जिला पंचायत ग्वालियर में पदस्थ परियोजना अधिकारी श्री जय सिंह नरवरिया ने बॉयो-टॉयलेट की इस तकनीक को खोजा है। सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गोद लिए गए गाँव जयापुर में भी ग्वालियर के बॉयो-टॉयलेट मॉडल को अपनाया गया है। इसी तरह, ग्वालियर जिले में केन्द्रीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा गोद लिए गए गाँव चीनौर में भी इसी पद्धति से बॉयो-टॉयलेट बनवाएगए हैं। ग्वालियर के बॉयो-टॉयलेट मॉडल को देखने के लिये जापान के प्रतिनिधि भी आ चुके हैं। इनके अलावा, भारत सरकार के प्रतिनिधिगण सहित देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि न केवल इस मॉडल को देखने आ चुके हैं, बल्कि अपने राज्यों में भी बॉयो-टॉयलेट की इस तकनीक को अपनाया है।देशभर के 50 शहरों से आए दलों ने ग्वालियर की एक्सपोजर विजिट के दौरान यहाँ फूलबाग मैदान और ग्वालियर किले पर बने सार्वजनिक बॉयो-टॉयलेट के अलावा दीनदयाल मॉल के सामने स्थित सुलभ शौचालय और राम मंदिर क्षेत्र में स्थित कम्युनिटी टॉयलेट का अवलोकन किया। ये दल मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर को ओडीएफ बनाने के लिये अमल में लाई गई सुनियोजित कार्य-योजना से खासे प्रभावित दिखे। नवी मुम्बई महानगरपालिका से आए सेनेटरी ऑफीसर श्री दिनेश एवं नई दिल्ली की महानगरपालिका के अधिकारी श्री इकबाल सिंह का कहना था कि सार्वजनिक शौचालय में बदबू नहीं होना सबसे बड़ी खासियत है। एक्पोजर विजिट पर आए दलों में गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, केरला, आंध्रप्रदेश व तेलंगाना सहित अन्य राज्यों के शहरों के दल शामिल हैं।कम खर्चे में बन जाता है बॉयो-टॉयलेटबॉयो-टॉयलेट बनाने में उतना ही खर्चा आता है जितना खर्च साधारण शौचालय के निर्माण में आता है। व्यक्तिगत शौचालय 15 हजार रूपए में और 10 सीट का सार्वजनिक शौचालय लगभग 50 हजार रूपए में तैयार हो जाता है। इस तकनीक से ग्वालियर जिले के ग्राम उदयपुर, टेकनपुर, सौजना, चराईडांग, सुरेहला व चीनौर सहित विभिन्न ग्रामों में 300 बॉयो-टॉयलेट बनाए जा चुके हैं, जो सफलतापूर्वक उपयोग हो रहे हैं। इसी तरह ग्वालियर शहर में किला, फूलबाग, वोट क्लब व रेलवे स्टेशन (प्लेटफॉर्म नं.-4 के समीप) सहित लगभग दो दर्जन स्थानों पर बॉयो-टॉयलेट बनाए गए हैं। देश के कई राज्यों ने ग्वालियर के बॉयो-टॉयलेट मॉडल को अपनाया है।

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