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ओंकारेश्वर विस्थापितों को 3 महीने में दी जाये खेती योग्य जमीनः कोर्ट
हाल ही में सर्वोच्च नयायालय ने ओम्कारेश्वर बांध विस्थापितों के सम्बन्ध में नर्मदा बचाओ आन्दोलन की याचिका पर एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है कि राज्य सरकार 3 महीने के अन्दर विस्थापितों को पुनर्वास के लिए खेती योग्य जमीन उपलब्ध कराए।
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि विस्थापित मुआवजा व् विशेष पैकेज का विकल्प लेता है तो सरकार को मुआवजे व् पैकेज पर अतिरिक्त 90% ब्याज देना होगा। नर्मदा बचाओ आन्दोलन इस फैसले का स्वागत करता है और सरकार से मांग करता है कि जमीन के साथ पुनर्वास की अन्य सभी मागों को तत्काल पूरा किया जाये. इन सभी मांगों के साथ विस्थापित सैकड़ों की संख्या में 28 मार्च को राजधानी भोपाल में प्रदर्शन करेंगे।
खंडवा में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए नर्मदा आन्दोलन के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता व आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने बताया कि ओंकारेश्वर बांध विस्थापित गत 12 साल से नर्मदा बचाओ आन्दोलन के तहत अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस लड़ाई में उन्होंने अपने अधिकारों के लिये तमाम धरने, प्रदर्शन, सत्याग्रह व् जल सत्याग्रह किये और न्यायालय में भी लड़ाई लड़ी. सन 2008 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने विस्थापितों को जमीन देने का आदेश दिया. परन्तु सरकार उसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील में चली गयी. सन 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने पुनः जमीन देने का आदेश दिया और इस हेतु शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष जाने को कहा।
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