Warning: mysqli_real_connect(): Headers and client library minor version mismatch. Headers:100311 Library:30121 in /home/khabar/domains/khabarsabki.com/public_html/wp-includes/class-wpdb.php on line 2035
उत्तर प्रदेश के शहर दिल्ली जैसे ही प्रदूषित

उत्तर प्रदेश के शहर दिल्ली जैसे ही प्रदूषित

दिल्ली की ज़हरीली हवा लगातार सुर्खियों में बनी हुई है, लेकिन वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ,कानपुर, आगरा, ग़ाज़ियाबाद, वाराणसी, इलाहाबाद, नोएडा और मुरादाबाद जैसे शहर की हवा भी उतनी ही जहरीली हो चुकी है। इन शहरों में लगातार पीएम 2.5 की बहुत अधिक सघनता दर्ज की जा रही है। इन शहरों की वायु गुणवत्ता ‘खतरनाक’ श्रेणी से भी ऊपर जा चुकी है।13 नवंबर 2017 को उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में पीएम 2.5 का स्तर काफी उच्च रहा जैसे, मुरादाबाद में 556, गाजियाबाद में 541,कानपुर में 474, लखनऊ में 445, नोएडा में 323, आगरा में 214 और वाराणसी में 201। ये आकंड़े दिल्ली से कम नहीं हैं जहां 13 नवंबर के दिन ही प्रदूषण का स्तर 359 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था।

वायु प्रदूषण पर काम कर रहे ग्रीनपीस के कैंपेनर सुनील दहिया कहते हैं ‘पार्टिकुलेट मैटर से होने वाला प्रदूषण सिर्फ दिल्ली तक सीमित नही है। गंगा के अगल-बगल बसे पंजाब और उससे सटे उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर दिल्ली जैसा ही है। लेकिन अब भी हम दिल्ली को छोड़कर बाकी शहरों के वायु प्रदूषण पर आँखें मूंद ली गयी हैं। उत्तर प्रदेश की गंभीर स्थिति इस बात का उदाहरण है। वायु प्रदूषण इन क्षेत्रों के लोगों के लिये गंभीर स्वास्थ्य संकट बन चुका है। स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण क्षेत्रीय समस्या है और जिससे निपटने के लिए तत्काल कई तरह के व्यवस्थतागत निर्णय लेने की जरूरत है, जिसके बदौलत ही प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसलिए राज्य सरकारों को तुरंत राज्य स्तर पर कार्ययोजना बनाने की जरूरत है।”

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अक्टूबर से लेकर अब तक के जुटाए आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश का कोई भी शहर राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को नहीं प्राप्त कर सका है। सुनील बताते हैं, “उत्तर भारत में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये छोटे-मोटे उपाय किये जा रहे हैं जो कि वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या का निदान करने में सक्षम नहीं हैं। जरुरत इस बात की है कि तय समय-सीमा के भीतर व्यवस्थागत और व्यापक कार्य योजना बनाकर इससे निपटा जाये।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में चार शहर- इलाहाबाद, कानपुर, फिरोजाबाद और लखनऊ उत्तर प्रदेश में है। उत्तर प्रदेश में औद्योगिक और कृषि से संबंधित उच्च स्तर के प्रदूषक कारकों के साथ-साथ असंतुलित परिवहन सेक्टर से निकलने वाला प्रदूषण भी है। उत्तर प्रदेश में भारत का 10 प्रतिशत कोयला जनित ऊर्जा उत्पादन होता है। ग्रीनपीस इंडिया ने पिछले साल जारी अपनी रिपोर्ट आउट ऑफ साइट में यह बताया था कि उत्तर भारत में प्रदूषण का एक प्रमुख वजह थर्मल पावर प्लांट भी है।

 

सुनील का कहना है, “कई अध्ययन बताते हैं कि वायु प्रदूषण की वजह से लोगों का स्वास्थ्य संकट में है। हमलोग उस चरण को बहुत पहले पार कर गए हैं जहां हम वायु प्रदूषण को लेकर सिर्फ बात कर रहे थे। हमें अब दिल्ली के ग्रेडेड सिस्टम की तरह ही उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में  ग्रेडेड रिस्पॉन्स सिस्टम लागू करना चाहिए। वहीं भारत में वायु प्रदूषण के सभी कारकों से निपटने के लिये एक व्यापक कार्ययोजना तत्काल लागू करने की जरुरत है। हमें एक मह्तवाकांक्षी व व्यवस्थित राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाने की जरुरत है जिसमें स्पष्ट लक्ष्य, तय समय-सीमा और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेवारी दिखनी चाहिए। यह समय की मांग है कि राज्य सरकार क्षेत्रीय कार्ययोजना को लागू करे साथ ही, केन्द्र से मांग करे कि एक केन्द्रीय कार्य नीति बनाकर वायु प्रदूषण को जड़ से खत्म करने की दिशा में कदम उठाए।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Khabar News | MP Breaking News | MP Khel Samachar | Latest News in Hindi Bhopal | Bhopal News In Hindi | Bhopal News Headlines | Bhopal Breaking News | Bhopal Khel Samachar | MP News Today