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सूरत में कोचिंग इंस्टीट्यूट में आग, बचने स्टूडेंट चौथे मंजिल से कूदे, 19 मरे
सरकारों की कार्यपद्धति पर गुजरात के सूरत में शुक्रवार को हुए हादसे से सवाल खड़े होते हैं। सरकार संसाधनों के नाम पर खर्च तो करती है लेकिन जब हादसे होते हैं तो उनकी एजेंसियां मौत का तांडव देखने के सिवाय कुछ नहीं कर पातीं क्योंकि जिन उपकरणों की जरूरत होती है वह उनके पास होते ही नहीं हैं। सूरत में भी यही हुआ। एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में आग पर तीसरे-चौथे तक पहुंचने के लिए नगर निगम की दमकलों के पास सीढ़ियां या हाई़ड्रोलिक सीढ़ियों की सुविधा वाले वाहन नहीं थे। इससे 19 जानें चली गईं।
मामला गुजरात के सूरत में एक कोचिंग इंस्टीट्यूट का है। जहां आग लगी उसके धुएं में दम घुटने पर छात्रों ने तीसरी और चौथी मंजिल से छलांग लगाना शुरू कर दिया। इससे 19 छात्रों की मौके पर ही मौत हो गई। घटनास्थल पर दमकलें तो आईं लेकिन उनके पास तीसरी या चौथी मंंजिल तक पहुंचने लायक सीढ़ियां ही नहीं थीं जिससे हादसे में निर्दोष बच्चों की मौतें हुईं।
इस हादसे की तस्वीरें शाम को अचानक वायरल हुईं जो किसी प्रत्यक्षदर्शी ने मोबाइल से बनाईं थीं। घटनास्थल पर पहुंचे मीडिया कर्मियों ने तत्काल कैमरे व मोबाइल से हादसे को कैद किया। कुछ ही देर में हादसे के लाइव वीडियो पूरे देश में पहुंच गए। हर कोई नगर निगम की लापरवाही बता रहा है क्योंकि शायद सीढ़ियां होती तो कुछ जाने बचाई जा सकती थीं। अब गुजरात सरकार ने हादसे की जांच के लिए आदेश तो कर दिए हैं लेकिन जिन परिवारों के होनहारों की जानें गईं, उन्हें क्या जांच से उनके बच्चे वापस मिल सकेंगे। सरकारों को अपने संसाधनों की तरफ ध्यान देने की योजनाओं पर अमल करने की जरूरत है जिससे ऐसे हादसों पर राहत दल पहुंचे तो मूक दर्शक बनकर केवल मौत का तांडव नहीं देखते रहें।
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