-
दुनिया
-
अफ्रीकी चीता गामिनी ने छह शावकों को जन्म दिया
-
पं. प्रदीप मिश्रा सीहोरवाले के कुबरेश्वरधाम में महाशिवरात्रि के बाजार सजे, देशभर से आ रहे अनुयायी
-
डॉक्टर ने जर्मनी में पत्नी से देह व्यापार कराने की कोशिश, इंदौर में दर्ज हुआ मामला
-
मध्य प्रदेश में साइबर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के हर साल बढ़ रहे मामले, सोशल मीडिया प्लेटफार्म माध्यम
-
मैनिट भोपाल में स्टार्टअप एक्सपो, युवाओं, निवेशकों-ग्राहकों को मिलेगा मंच
-
शिक्षा का इस्तेमाल छात्रों में चरित्र निर्माण के लिए होना चाहिए
उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि शिक्षा का इस्तेमाल छात्रों में सशक्त चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों के समावेश के लिए होना चाहिए । श्री नायडू आज मुंबई में आर ए पोद्दार कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स के हीरक जंयती समारोह के उद्घाटन के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे। महाराष्ट्र के आवास मंत्री श्री प्रकाश मेहता और कयी गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर अभिभावकों, शिक्षकों, स्कूलों और कॉलेजों से छात्रों के लिए तनावमुक्त वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई बार माता-पिता उन संकेतों या मानसिक तनाव के लक्षणों को समझने में विफल होते हैं, जिससे उनके बच्चे जूझ रहे होते हैं। श्री नायडू ने कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मन से करीब से जुड़ा रहा और इसी वजह से उन्होंने परीक्षाओं के कारण होने वाले तनाव से मुक्त होने के उपायों पर ‘परीक्षा वारियर्स’ नाम से एक पुस्तक भी लिखी है, । उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के विशाल मानव संसाधन को लाभ में परिवर्तित करना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में भारत के विकास की गति को तेज करने के लिए हमें विशाल मानव संसाधन को लाभ के रूप में इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के जारिए लोगों के व्यक्तित्व का ऐसा समग्र विकास होना चाहिए जिससे वह अपने करियर के चुनाव तथा आगे अपने जीवन के हर पड़ाव पर जरुरी जानकारियां जुटाने में सक्षम हों सकें। उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का इस्तेमाल युवाओं को सशक्त और बौद्धिक रूप से सजग बनाने, उनमें विश्लेषण कौशल विकसित करने तथा नयी संभावनाएं तलाशने में सक्षम बनाने के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता और समावेशी शिक्षा प्रदान किए बिना सिर्फ अधिक से अधिक इमारतें बनाने भर से ‘न्यू इंडिया’ का निर्माण संभव नहीं होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा सिर्फ सुलभ ही नहीं बल्कि सस्ती भी होनी चाहिए और साथ ही लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही बौद्धिक रूप से जागरुक बनाने का माध्यम भी बननी चाहिए।
Leave a Reply