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विधानसभा में राज्य जीएसटी विधेयक पारित, मप्र देश का आठवां राज्य बना
मध्यप्रदेश विधानसभा में बुधवार को राज्य जीएसटी विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। भाजपा की ओर से कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मोदी सरकार ने सभी लोगों को साथ लेकर जीएसटी को लोकसभा और राज्यसभा में पारित कराया है। वहीं कांग्रेस विधायकों ने कहा कि जब यूपीए सरकार ने इसके लिए प्रयास किए थे तो बीजेपी ने ही इसका विरोध किया था। कांग्रेस तो शुरू से इसकी पक्षधर रही है।
मध्यप्रदेश में जीएसटी विधेयक पारित होने के बाद देश का आठवां राज्य हो गया जहां इस अधिनियम को सर्वसम्मति से पास किया गया। इसके पहले तेलंगाना, बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्य इसे पारित कर चुके हैं।
वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया ने सदन में दिये गये वक्तव्य में कहा कि जीएसटी प्रणाली का इतिहास बहुत पुराना है। देश में इसे वर्ष 2000 से लागू करने की बात कर रहे हैं। सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में इस प्रणाली को लेकर चर्चा शुरू की गयी। उस समय एक कमेटी का भी गठन किया गया, जिसका नेतृत्व तत्कालीन वित्त मंत्री श्री असीम दास गुप्ता द्वारा किया गया।
वर्ष 2003-04 में जीएसटी लागू करने को लेकर केलकर टास्क फोर्स का गठन किया गया। वर्ष 2006 में पहली बार केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा अपने बजट अभिभाषण में एक अप्रैल, 2010 में जीएसटी लागू करने की बात कही गयी। इसी तरह वर्ष 2007 में राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त कमेटी द्वारा जीएसटी के रोडमेप पर काम करना शुरू किया गया, जिसकी रिपोर्ट कमेटी द्वारा वर्ष 2008 में दी गयी। वर्ष 2009 में एम्पावर्ड कमेटी द्वारा पहला डिस्कशन पेपर रिलीज किया गया तथा फरवरी-2010 में तत्कालीन केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा यह घोषणा की गयी कि अप्रैल-2011 से जीएसटी प्रणाली लागू कर दी जायेगी।
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री मलैया ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा जीएसटी कानून लागू करने के लिये संविधान संशोधन विधेयक संसद में प्रस्तुत किया गया, जो दोनों सदनों में पारित हुआ। संविधान संशोधन के फलस्वरूप केन्द्र एवं राज्यों को माल एवं सेवाओं पर कर लगाने की शक्तियाँ प्राप्त हुई हैं। माल और सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने के लिये केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम, इंटीग्रेटेड माल एवं सेवा कर अधिनियम, यूनियन टेरिटरी माल एवं सेवा कर अधिनियम तथा माल एवं सेवा कर अधिनियम बनाये गये हैं। मध्यप्रदेश राज्य द्वारा मध्यप्रदेश माल और सेवा कर विधेयक-2017 का प्रारूप विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत किया गया है। यह विधेयक केन्द्रीय माल और सेवा कर अधिनियम का लगभग एक प्रतिबिंब ही है। जीएसटी कर प्रणाली 17 वर्ष की निरंतर मेहनत और गहन विश्लेषण का परिणाम है।
वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री श्री जयंत मलैया ने बताया कि मध्यप्रदेश वाणिज्यिक कर विभाग ने समय के अनुरूप इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिये आवश्यक तैयारियाँ शुरू कर दी थीं। उनकी जीएसटी की अद्यतन तैयारियों और विपरीत परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन के लिये उनकी तारीफ की जाना चाहिये। वाणिज्य कर विभाग ने प्रदेश के व्यवसायियों एवं कर सलाहकारों के साथ मिलकर सम्पूर्ण प्रदेश में जीएसटी जैसे तकनीकी विषय के लिये जागरूकता अभियान भी चलाया। प्रदेशभर में कार्यशालाएँ की गयीं। कर सलाहकार एवं अधिकारी जन-सामान्य को जीएसटी की जानकारी दे रहे हैं। अब तक लगभग ढाई लाख व्यवसायियों का माइग्रेशन जीएसटी में किया जा चुका है। लगभग 300 स्थान पर कार्यशाला आयोजित की गयी हैं। जीएसटी में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिये वाणिज्यिक कर विभाग ने मुख्यालय स्तर पर जीएसटी सहायता केन्द्र स्थापित किया है। साथ ही प्रत्येक वृत्त में जीएसटी हैल्प-डेस्क बनायी गयी है।
वाणिज्यिक कर मंत्री श्री मलैया ने बताया कि जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत 20 लाख रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार करने वाले व्यापारियों को इसमें पंजीयन किया जाना है, जबकि वेट कानून में यह सीमा 10 लाख रुपये वार्षिक थी। इस व्यवस्था में छोटे व्यापारियों को राहत दी गयी है। जीएसटी कानून में 50 लाख रुपये तक के व्यवसाय करने वाले व्यापारी बंधुओं के लिये एकमुश्त कर चुकाने की सुविधा भी दी गयी है। इसके अतिरिक्त इस प्रस्तावित व्यवस्था के अंतर्गत सभी रजिस्टर्ड व्यवसायियों को पूरे भारत में इनपुट टेक्स क्रेडिट की पात्रता होगी, जो कि अभी तक अधिनियमों में केवल राज्य के भीतर की गयी खरीदी पर ही प्राप्त होती थी। श्री मलैया ने सदन को बताया कि इस व्यवस्था में अब अधिक से अधिक मात्र 5 प्रतिशत व्यवसायियों को प्रतिवर्ष असेसमेंट करना होगा। अब व्यवसायियों द्वारा भरा हुआ रिटर्न ही उनके कर निर्धारण का आधार होगा। जीएसटी प्रणाली में मात्र रिस्क बेस पेरामीटर के आधार पर ही स्थल निरीक्षण किया जायेगा। सदन में वाणिज्यिक कर मंत्री श्री मलैया ने बताया कि जीएसटी प्रणाली में अब उन्हें अलग-अलग टैक्स के अलग-अलग रिटर्न और चालान नहीं भरने होंगे, बल्कि एक ही रिटर्न और एक ही चालान से उनका विवरण पूर्ण हो जायेगा। जीएसटी की एक खास बात यह भी है कि यह एक राष्ट्र एक कर प्रणाली है। इससे राज्यों के बीच टेक्स वार नहीं होगा। वाणिज्यिक कर मंत्री श्री मलैया ने बताया कि जीएसटी के माध्यम से हमने अपने संघीय ढांचे को बरकरार रखा है, देश के अंदर प्रदेश के वित्त मंत्रियों और केन्द्र तथा राज्य, दोनों ने पहली बार सर्व-सम्मति से जीएसटी काउंसिल के भीतर निर्णय लेने की शुरूआत की है, यही हमारे संघीय ढांचे की खूबसूरती भी है। वित्त मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाली तकनीक आधारित यह व्यवस्था आर्थिक परिवर्तन के लिये मील का पत्थर साबित होगी।
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