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आदिवासियों को बेदखल करने पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने

आदिवासियों को बेदखल करने पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने

आदिवासियों के करीब साढ़े तीन लाख पट्टे निरस्त कर दिए जाने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान जब शिकायत करने मुख्यमंत्री कमलनाथ के पास पहुंचे तो उन्होंने आदिवासियों के पट्टे को लेकर कच्चा चिट्ठा सामने रख दिया। इसको पहले चौहान मंत्रालय में पहुंचे और सीएम से मुलाकात की लेकिन कुछ देर बाद। मुख्यमंत्री कमल नाथ से आज मंत्रालय में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भेंट की और अपने विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी परिवारों के विकास के संबंध में चर्चा की।

मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि राज्य सरकार आदिवासियों के हितों के संरक्षण के प्रति वचनबद्ध है। इसलिए हमने सरकार में आते ही पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में साढ़े तीन लाख से अधिक आदिवासियों के पट्टे के जो आवेदन निरस्त किए थे उन पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। श्री नाथ ने ये बात आज पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ आए एक प्रतिनिधि मंडल से चर्चा के दौरान कही। प्रतिनिधि मंडल में बुधनी विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी शामिल थे। पूर्ववर्ती सरकार में हुए थे 3 लाख 55 हजार आवेदन निरस्त
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि हमारी सदैव नीति रही है कि आदिवासी वर्ग का न केवल सर्वांगिन विकास हो बल्कि परम्परा से उन्हें मिले अधिकारों का भी संरक्षण हो। श्री नाथ ने बताया कि वनाधिकार कानून 2006 यूपीए सरकार ने लागू किया था। इस कानून के अंतर्गत मध्यप्रदेश में 6 लाख 25000 आवेदन पूर्ववर्ती सरकार के शासनकाल में आए थे जिनमें से 3 लाख 55 हजार आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। नई सरकार ने इन सभी आवेदनों का पुनरीक्षण कर पात्र कब्जा धारियों को वनाधिकार पत्र देने का काम शुरू किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यही नहीं हमने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500 रुपये की है। सरकार के इस निर्णय से तेंदूपत्ता संग्रहण के कार्य में लगे आदिवासियों को प्रति बोरा 500 रुपये का लाभ मिला है। यह राशि पूर्व में बैंकों के माध्यमों से तेंदूपत्ता श्रमिकों को दी जाती थी जिससे उन्हें कठिनाई होती थी। नई सरकार ने यह निर्णय लिया कि तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि का नगद भुगतान किया जाएगा।
श्री नाथ ने कहा कि आज आदिवासी वर्ग को उनके पारंपरिक अधिकार देने और उनका संरक्षण करने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता सर्वविदित है। इसलिए आदिवासी परिवारों के साथ किसी भी प्रकार के अन्याय को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी।

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